काफी किताबों में ढूंढने के बाद बड़ी मुश्किल से मिली कोरोना वायरस की दवा।

दोस्तों,  काफी किताबों में ढूंढने के बाद बड़ी मुश्किल से कोरोना वायरस की दवा मिली है, हम लोग कोरोना वायरस की दवा ना जाने कहां-कहां ढूंढते रहे लेकिन कोरोना वायरस की दवा इंटरमीडिएट की जन्तु विज्ञान की किताब में दी गई है जिस वैज्ञानिक ने इस बीमारी के बारे में लिखा है उसने ही इसके इलाज के बारे में भी लिखा है और यह कोई नई बीमारी नहीं है इसके बारे में तो पहले से ही इंटरमीडिएट की किताब में बताया गया है साथ में इलाज भी। कभी-कभी ऐसा होता है कि डॉक्टर और वैज्ञानिक बड़ी-बड़ी किताबों के चक्कर में छोटे लेवल की किताबों पर ध्यान नहीं देते और यहां ऐसा ही हुआ है।
(किताब- जन्तु विज्ञान, लेखक- डॉ रमेश गुप्ता, पेज नं-1072)

साधारण जुकाम (Common Cold)

इसमें लिखा है कि साधारण जुकाम (Common Cold) अनेक प्रकार के विषाणुओं  द्वारा होता है। इनमें 75% में रहीनोवायरस तथा शेष में कोरोना वायरस  द्वारा होता है। यह रोग मौसम बदलाव के समय तथा सर्दियों (Winters) में होता है। इस रोग के प्रमुख लक्षणों श्वसन मार्ग की म्यूकस झिल्ली में सूजन, नासकोष में कड़ापन (Stiffness), नाक बहना, छींकना, गले में खराश आदि है जो लगभग एक सप्ताह तक रहते हैं, यदि खांसी है तो दो सप्ताह तक रहती है। इस रोग का संक्रमण  छींकने से वायु में मुक्त बिंदुओं द्वारा होता है, इसके अतिरिक्त यदि संक्रमित व्यक्ति दरवाजों के हैंडल गुड़ियों आदि को छूता है तो वायरस कण वहां पर लग जाते हैं और वहां से स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण हो जाता है, इस रोग के उपचार हेतु एस्पिरिन (Aspirin),  एंटी-हिस्टेमीन (Anti- histamines),  नेजल स्प्रे (Nasal spray) आदि लाभप्रद है। 

काफी किताबों में ढूंढने के बाद बड़ी मुश्किल से  मिली कोरोना वायरस की दवा।



सार्स : रहस्यमय निमोनिया के साप में चर्चित धातक बीमारी सार्स यानी ‘ सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्हॉम ‘ के विषाणु को ‘ पैरामिक्सोवायरस ‘ के रूप में चिह्नित किया गया है , जो कोरोनों वायरस परिवार से सम्बन्धित है । इसके रोगी में निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं । लगातार खाँसी आने और सास में तकलीफ बने रहने के कारण रोगी की मृत्यु तक हो जाती है ।

काफी किताबों में ढूंढने के बाद बड़ी मुश्किल से  मिली कोरोना वायरस की दवा।

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